जादूटोणा

भारतीय संस्कृती के जडो जुडी संस्कृत भाषा मे लिखे गये पौराणिक ग्रंथो मे बहोत श्लोक, मंत्र के रूप मे आज भी उपलब्ध है | इतिहास संशोधक वि.का.राजवाडे का कहना है कि, अथर्ववेद मे  सत्तर लाख मन्त्रो का उल्लेख है | लेकिन मंत्रो की जाच करते हुये वो कहते है,२५०० साल पहले अज्ञानतावस मन्त्रो का निर्माण हुवा है |

अतिप्राचीन अश्मयुग मे (करीब-करीब ५ लाख से १० हजार वर्ष पूर्व) आदमी पेट भरणें के लिये जंगल मे शिकार के लिये भट कता था I तब  उसको शिकार मिलने  कि  कोई संभावना नही थी | उसको दो-दो दिन भुखा भी रहना भी पडता था | ऐसी हालत मे उसके दिमाग मे आया कि जमीन पर शिकार का चित्र बनाते है, उसमे पत्थर से शिकार करणे का चिन्ह लगाते है, उसके बाद टोली के सभी लोगोने हात जोडे और शिकार मिलने कि अपेक्षा की |  बस इतना करणे के बाद दो दिन पहले  उनको जैसी शिकार मिली थी,उसी प्रकार कि मिल गई | टोली के सभी सद्स्याओन्को लगा कि ऐसा कूच विधी करणे से कोई अदृश्य शक्ती अपने काम मे मदद करती है, और शुरू हुआ विधी का सिलसिला, मुह से अपनी इच्छा व्यक्त करणे का और हाथ जोडने का | मुह से जो बोला गया उसे मंत्र, आराधना,प्रार्थना या  अन्य कोई नाम दिये गये | हात जोडने कि जो कृती कि गई उसे तंत्र कहा गया | इसीप्रकार तंत्रमंत्र का उगम प्राचीनकाल मे हुआ |

नावाश्मयुग (करीब-करीब ८ हजार से ५ हजार वर्ष पूर्व) मे आदमी खेती करने लगा | खेती के लिय बारीश कि जरुरत थी | उसने देखा बारीश उपर से हो रही है, बिजली उपर चमक रही है, बादल गरज रहे है| सुरज निकलने के बाद खुशहाली आती है | जंगल से आग भी उसने हासील कि है, इसी से रात कि अंधेरे कि समस्या सुलझ गई, खाना पकने लगा | यह सभी लाभदायक बातों के पिछे कोई अदृश्य शक्ती है, ऐसा सोचा होगा | यह सुविधाजनक परीस्थिती हमेशाके लिये अपने साथ रहे,  इसलिय हाथ जोडने लगा, मुह से प्राथर्ना करणे लगा |

इसका यह परिणाम हुआ कि, सभी धर्मो के लोग अपना पहला देवता सुरज को मानणे लगे | दुसरा देवता अग्नी , तिसरा वरुण हुआ | इसी प्रकार देवताओंकी संख्या बढने लगी, जो जो सुविधाजनक लगने लगा, उसको पूजने लगा था | जोजो बाते चमत्कारिक लगी, उसे अदृश्य शक्तीद्वारा घटीत घटनाए समझता था |

अदृश्य शक्ती को प्रसन्न करणे के किय मंत्रतंत्र, कर्मकांड का जन्म हुआ | करीब  २५०० साल पहले धर्मो का उदय हुआ | करीब करीब सभी धर्मो के राचानाकारोपर इतिहास का प्रभाव था, साथ मे अदृश्य शक्ती पुरा भरोसा था | इसलिय सभी धर्मो मे मन्त्रो-तंत्रो का उल्लेख है |

वैदिक साहित्य के चारो वेदो मे अथर्ववेद एक पौराणिक ग्रंथ है | उसमे लगबग ७० लाख मन्त्रो का उल्लेख है, जिसमे बहोतसे रोगोपर मंत्रोसे उपचार भी बताय है | पुरी दुनिया में अलौकिक शक्ती के बारे मे एक समझ है कि , मानव का भला बुरा करणेवाली शक्ति भी पदार्थोमे है | येह अलौकिक शक्ती को प्रसन्न करणे के लिय , मन्त्रो के माध्यम से तंत्रो का इस्तेमाल करते है, येही परंपरावादी सोच है |

समाज में कही लोग अदृश्य शक्ती के बारे में सोचता रहा, उसिसे विज्ञान का जन्म हुआ |विज्ञान कि प्रगती हुवी , अद्भूत घटनावोन्के रहस्य  उजागर हुय | आदमी चांदपर पहुचा, वहा पानी खोजने लगा, शहर बसाने कि बात कर रहा है | लेकीन परंपरावादी सोच के कारण लोगोके दिमाग से जादूटोणा नही जा रहा है | इसिलीय प्रा श्याम मानवजी १९८२ मे नागपूर से अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती के माध्यम सुरवात की | उस संघटन का काम लगातार चल राहा है; ताकी जादूटोणाके बारेमें समाज असलीयत का पता चले | अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समितीने महाराष्ट्र शासन को “जादूटोणा विरोधी” कानून बनाने लिये बाध्य किया,कानून मे बहोत सुझाव दिये | आखीर २०१३ मे महाराष्ट्र शासन ने “जादूटोणा विरोधी” कानून लागू किया ,जो भारतवर्ष मे इस प्रकार का पहला कानून है | अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती इस कानून का प्रचार प्रसार करणे मे लगी है | समाज से अंधश्रद्धा दूर हो , क्योंकी  “अंधश्रद्धासे मुक्ती,सबसे बडी देशभक्ती”|
 

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